तुम जो आँखों में काजल लगाती हो ना
वो मेरी शाम को और रूमानी कर जाती है
जो तुम्हारी साँसों की खुशबु है
वो फ़िज़ा को रूहानी कर जाती है
तुम जो यूं छलकती सी चलती हो
वो मुझे असंयमित कर जाती है
तुम्हारी उन पाज़ेब की रुनझुन रुनझुन
सूने से मेरे जीवन में सरगम छेड़ जाती है
तेरा दुपट्टा जो बलखा कर उड़ता है
और जो तुम उन्हें झट से पकड़ती हो
वो उड़कर मेरे अंतर्मन में तरंग फैला जाती है
जिन्हे पकड़ में आ जाता हूँ तुम्हारे तीरे
तुम जो यूं मुस्कुराती हो
दिन को मेरे और रोशन कर जाती हो
तेरी आँखों की चमक जो फैलती है
जहाँ मेरा तिलस्म से भर जाता है
तुम जादू हो मेरे जीवन की
जो हर पल नए रंग फैलाती है जीवन में
मैं सराबोर उन रंगों में
इंद्रधनुष बन निकल जाता हूँ
- अमितेश
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