मेरी छोटी सी गुड़िया
जब तेरी सुरमई आँखें
मुझे देख कर चमकेगी
जब तेरी नन्ही हथेलियों में
मेरे होने की सुनहरी लकीरें चमकेगी
जब चाँदनी तेरे चेहरे को देख
खुद के वज़ूद पे सहमेंगी
मैं सम्पूर्ण महसूस करूँगा खुद को।
मेरी नन्ही सी गुड़िया
जब तुम्हारी चपलता से
मैं मंत्रमुग्ध हुआ जाऊंगा
जब तेरी चंचलता से मैं
बच्चा हुआ जाऊंगा
जब तुम्हारी हंसी की खनक सुन
मैं जहाँ की सारी जटिलता भूल जाऊंगा
मुझे मेरी सम्पूर्णता का आभास होगा।
मेरी छोटी सी गुड़िया
तेरे इंतज़ार में मैं ज़ार ज़ार हूँ
तुझे एक नज़र देखने को बेक़रार हूँ।
तुम आ जाओ मेरे जहाँ में जल्द
की मुझे मेरी सम्पूर्णता का आभास हो।
- अमितेश
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