चलो ना
आज फिर पहाड़ों पर चलते हैं।
कुछ सुस्त कदम लिए
उन ऊंचाइयों को धरते हैं
चलो ना
आज फिर पहाड़ों पर चलते हैं।
कुछ आसमां तुम लाना संग अपने
कुछ फ़लक मैं ले आऊंगा
थोड़ी बातें तुम करना
कुछ मैं यूं ही मुस्करा जाऊंगा।
चलो ना
आज फिर पहाड़ों पर चलते हैं।
यहाँ की भाग दौड़ बहुत थकाती है
जी भर ना जी पाने का दर्द बताती हैं
चंद लम्हें निकाल इस ज़िन्दगी से
चलो ना आज फिर कुछ जी लेते हैं
चलो ना
आज फिर पहाड़ों पर चलते हैं।
वो जो खुशी खुद की
सीने में कहीं दफ्न पड़ी है
उसे निकाल मन की गहराइयों से
चलो ना अपने जीवन में भरते हैं
चलो ना
आज फिर पहाड़ों पर चलते हैं।
यहाँ का आसमान तारों को निगले बैठा है
जुगनुओं को मानो बीती सदी देखा है
चलो ना, उन तारों - जुगनुओं की चमक
आज आँखों में भरते हैं।
चलो ना
आज फिर पहाड़ों पर चलते हैं।
- अमितेश
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