The Inner Soul©
A JOURNEY WITHIN
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Amitesh
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रविवार, 19 जुलाई 2009
Today read these lines of Jigar Muradabadi. I loved it...
मैं? और तेरे इश्क के क़ाबिल? नही! नही!
मुझको मुआफ़ कर की मैं तुझसा हसीं नहीं!
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