जब निकला नहा कर बाथरूम से सुबह सुबह
सोचा कर लूं भगवान् को याद थोडा,
जब गूंजी आवाज़ अज़ान कि फिजा में
सोचा कर ली जाए इबादत खुदा कि आज.
तब दिया एक खंज़र मेरे दोस्त ने मुझे
यह कह कर कि धर्म की अस्मिता का सवाल है आज.
पर मै किस धर्म की लड़ाई लडू
मुझपर तो रहा है राम की रहमत
और खुदा का करम हमेशा!
सोचा कर लूं भगवान् को याद थोडा,
जब गूंजी आवाज़ अज़ान कि फिजा में
सोचा कर ली जाए इबादत खुदा कि आज.
तब दिया एक खंज़र मेरे दोस्त ने मुझे
यह कह कर कि धर्म की अस्मिता का सवाल है आज.
पर मै किस धर्म की लड़ाई लडू
मुझपर तो रहा है राम की रहमत
और खुदा का करम हमेशा!
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