जो छूना है आसमान तो
तू पंख बदल हौसला नहीं
पाना फतह जब जहां पर
तू शस्त्र बदल फैसला नहीं।
आएंगी रुकावटें राहों में कई
कुछ पहचानी सी कुछ होंगी नई
पहुंचना हो फिर भी नियत तक जो
तू राह बदल गंतव्य नहीं।
कुछ कर गुजरना हो ध्येय जब
कुछ भी ना लगे आसान पर
हिम्मत पर फिर भी हार मत
तू प्रयत्न बदल मनोरथ नहीं।
तू सशक्त है तू लौह पुरुष
नीयत भी तुझमे पुरुषार्थ भी
तू ही अद्वैत तू पार्थ भी
तू अजेय है तू अपराजिता।
गांडीव उठा प्रत्यंचा चढ़ा
टंकार से तू धनता फैला
तू बाण चढ़ा तू लक्ष्य गढ़
और भेद दे तू लक्षित निमित्त।
- अमितेश
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