तनहाइयों के आलम में
जब होता है दिल उदास
ढूंढ़ता हूँ तब तुम्हे अपने आस-पास
सावन की पहली फुहार में देखता हूँ तुम्हे
फूलों की तरह मचलते हुए।
अंधियारी रात में पाता हूँ तुम्हे
जुगनू की तरह जलते हुए।
भोर के समुन्द्र पर पाता हूँ तुम्हे
किरणों की तरह चलते हुए।
कलियों की बगिया में देखता हूँ तुम्हे
खुशबू की तरह पलते हुए।
पर गया जब-जब छूने तुम्हे
हुई हर बार आँखों से ओझल तुम
जानता हूँ तुम नहीं हो कहीं आस-पास
यह जान कर भी कहता है दिल मेरा
तुम यहीं कहीं हो मेरे पास... बहुत पास!
-अमितेश
जब होता है दिल उदास
ढूंढ़ता हूँ तब तुम्हे अपने आस-पास
सावन की पहली फुहार में देखता हूँ तुम्हे
फूलों की तरह मचलते हुए।
अंधियारी रात में पाता हूँ तुम्हे
जुगनू की तरह जलते हुए।
भोर के समुन्द्र पर पाता हूँ तुम्हे
किरणों की तरह चलते हुए।
कलियों की बगिया में देखता हूँ तुम्हे
खुशबू की तरह पलते हुए।
पर गया जब-जब छूने तुम्हे
हुई हर बार आँखों से ओझल तुम
जानता हूँ तुम नहीं हो कहीं आस-पास
यह जान कर भी कहता है दिल मेरा
तुम यहीं कहीं हो मेरे पास... बहुत पास!
-अमितेश
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