रविवार, 30 नवंबर 2014

सम्पूर्ण

मेरी छोटी सी गुड़िया 
जब तेरी सुरमई आँखें 
मुझे देख कर चमकेगी 
जब तेरी नन्ही हथेलियों में 
मेरे होने की सुनहरी लकीरें चमकेगी 
जब चाँदनी तेरे चेहरे को देख 
खुद के वज़ूद पे सहमेंगी 
मैं सम्पूर्ण महसूस करूँगा खुद को।  

मेरी नन्ही सी गुड़िया 
जब तुम्हारी चपलता से 
मैं मंत्रमुग्ध हुआ जाऊंगा 
जब तेरी चंचलता से मैं 
बच्चा हुआ जाऊंगा 
जब तुम्हारी हंसी की खनक सुन 
मैं जहाँ की सारी जटिलता भूल जाऊंगा 
मुझे मेरी सम्पूर्णता का आभास होगा। 

मेरी छोटी सी गुड़िया 
तेरे इंतज़ार में मैं ज़ार ज़ार हूँ 
तुझे एक नज़र देखने को बेक़रार हूँ।  

तुम आ जाओ मेरे जहाँ में जल्द 
की मुझे मेरी सम्पूर्णता का आभास हो।  

- अमितेश