गुरुवार, 8 अगस्त 2013

ज़िन्दगी चलो फिर दोस्ती कर लें

ज़िन्दगी चलो फिर दोस्ती कर लें
रूबरू हो एक दूजे से चलो कुछ और मस्ती कर लें
ज़िन्दगी चलो फिर दोस्ती कर लें

तेरे चौखट पे बैठे कब तक
तेरे ख़त्म होने का इंतज़ार करें
तेरी दरख्तों पे अटकी मेरी चंद साँसें उतार
इस शरीर में फिर तुम्हें भर लें
ज़िन्दगी चलो फिर दोस्ती कर लें.

कोरे कागज़ सी ज़िन्दगी पर
रात की स्याही से कुछ और नज़्में बुन लें
सांझ की धूमिल कालिमा को पोंछ
दिन के उजाले से तुम्हें थोड़ा और रोशन कर लें
ज़िन्दगी चलो फिर दोस्ती कर लें

आँखों में बसे सैलाब को दरकिनार कर
अश्कों से सुख के पौधे सींच
उन में कुछ और हरयाली भर लें
नयनों में धुंधलाते से पल को समेट
अश्कों के मोती से खज़ाने भर लें

ज़िन्दगी चलो फिर दोस्ती कर लें


- अमितेश 

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