सोमवार, 2 दिसंबर 2019

अपने घर

वो माँ की गोद में सो जाना
वो उसका मनुहार कर खिलाना
वो मेरी झिड़कियां, वो उसका मुस्काना
वो शाम ढले घर से निकलना
वो माँ का चुपके से कुछ सिक्के मेरी जेब में डालना
वो दिन सुनहले, वो रातें रुपहली
आ अब वापस लौट चलें,
अपने घर के रास्ते.

वो पापा का डाँटना
वो उनका बात बात पे चिढ जाना
कभी गुस्से में हाथ उठाना
फिर सकुचा कर प्यार जताना
वो मेरी एक ख़ुशी को,
उनका कई मौत मर जाना
वो अहले सुबह उनका भजन गुनगुनाना
वो दिन सुनहले, वो रातें रुपहली
आ अब लौट भी चलें
अपने घर के रास्ते.

वो यारों की यारी
वो बिन बात उनसे भिड़ जाना
वो साफ़ कपड़ो में स्कूल जाना
वो शर्ट के कॉलर का काला पड़ जाना
वो दिन सुनहले, वो रातें रुपहली
आ अब चल हीं चले फिर
अपनें घर के रास्ते.

ये दुनियाँ की मुश्किल
ये रिश्तों की जटिलता
ये दफ़्तर की परेशानियाँ
ये दिन बोझिल, ये रातें पहेली
ये बनावटी मुस्कान
ये हाल बेहाल
ये दौलत कमाना और खुशियां बटोरना
ना जाने कहाँ रखें वो
वो दिन सुनहले, वो रातें रुपहली
आ अब वापस लौट चलें
अपने घर के रास्ते.


- अमितेश 

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