बुधवार, 27 मई 2020

जानता हूँ

तेरा यूँ मुस्कराना
और मुझपे मर जाना, 
मुमकिन नहीं, जानता हूँ 
पर चलो मान लेता हूँ। 

तेरी झुकी सी नज़र में 
मेरा बस जाना 
तेरी धड़कनों में 
मेरा धड़क जाना 
मुमकिन नहीं, जानता हूँ 
पर चलो मान लेता हूँ। 

तेरी गहरी जुल्फ़ों में 
पोशीदगी से खो जाना 
तेरा मेरे लिए 
बलखाना, शरमाना 
मुमकिन नहीं, जानता हूँ 
पर चलो मान लेता हूँ। 

तेरे ख्वाबों के महल को 
मेरा सजाना 
तेरे उस महल का 
मुझसे सज जाना 
मुमकिन नहीं, जानता हूँ 
पर चलो मान लेता हूँ।

तेरी निर्मल हँसी सा 
तेरे होठों पे संचयित हो जाना 
तेरे आँखों के पोरों पे 
आँसुओं सा जम जाना 
मुमकिन नहीं, जानता हूँ 
पर चलो मान लेता हूँ।

तेरे बच्चों का मुझे 
पापा - पापा कह बुलाना 
और सकुचा कर तुम्हारा 
मुझे "अजी सुनते हो" पुकारना 
मुमकिन नहीं, जानता हूँ 
पर चलो मान लेता हूँ। 


- अमितेश 

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