रविवार, 18 अक्तूबर 2009

मृगतृष्णा

कहते हैं
जीवन एक सड़क है
जन्म और मृत्यु हैं जिसके दो छोर
पर
हर पल, प्रति पल
आते हैं इसमे कई मोड़
कभी देता है यह दिलों को जोड़
कहीं देता यह रिश्तों को तोड़

पर
जब झाँका मैंने
अपने जीवन के आँगन में
इसकी चारदीवारी के झरोखे से
तो पाया
एक सपाट रास्ता
बिना मोड़ का रास्ता
जहाँ बार-बार
टूटे ही हैं
दिल और रिश्ते मेरे।
***

कहते हैं
जीवन एक वही-खाता है
पल-पल, प्रतिपल
होते हैं जिसमे
सबके कर्मों के हिसाब
जो देता है जितना इसमे
पाता है उतना ही इससे।
खोना-पाना हमेशा रहते हैं संतुलित।

जब खोला
अपने जीवन का वही-खाता मैंने
तो पाया इसे असंतुलित।
लिया तो सबने मुझसे
पर मिला कुछ भी नही मुझे।
इसके हर पन्ने पर
उकेरी हुई है
धोखे की कवायदें।
***

कहते हैं
जीवन मदिरा का प्याला है
जिसमे
ज़िस्म प्याला
रवानी ज़ाम है
जो पीता है जितना
होता है मदहोश उतना
इसे पीना बनती है नियति सबकी।

जब उठाया
अपने जीवन का ज़ाम
तो कहा लोगों ने,
यह जाम है हलाहल का
पीने पर निश्चित है तेरी मौत।
मैं तो शायद
चाँद की शीतलता की कामना भी नही कर सकता
इसे पीने के बाद,
क्योंकि
याद नहीं कब देखा था
पिछली दफा
पूर्णमासी की रात
अपने जीवन में।
***

कहते है
जीवन एक कैनवास है
जिसमे भरे जाते हैं
हज़ारो रंग के सपने
कुछ पराये रंगों से
कुछ के होते हैं रंग अपने से
फिर बनती है
एक ख़ूबसूरत तस्वीर।

अपने जीवन के कैनवास से
जब हटाया परदा
तो पाया
एक काली,
मौत से भी भयावह तस्वीर;
मैं तो भर भी नहीं पाया
हज़ार रंग के सपने इसमे
उम्र गुजरी मेरी
रंगों को तलाशते हुए।

शायद ऐसी ही जिंदगानी लाया था मैं
लिखवा कर खुदा से।

-अमितेश

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